एक सुरेख असा ब्लॊग वाचण्यात आला ज्योती बसूच्यावर बंगाल वर.
संयम श्रीवास्तव नावाच्या लेखकाने इंडिया टाईम्स ब्लॊग वर लिहला आहे.
नावाप्रमाणेच लेखणीचा संयम राखत एक अत्यंत चांगला लेख लिहला आहे ज्यामध्ये ज्योती बसू व कम्युनिस्ट पार्टी २३ वर्ष बंगाल वर राज्य करत होते त्या २३ वर्षात बंगालचा काय हाल झाला व ह्याला जबाबदार कोण ? लेख वाचल्यावर समजून चुकते की काय अवस्था असेल. लेखकाने जे आकडे वापरले आहेत गरिबे रेखेखालचे जिल्हा व इतर ते शक्यतो सरकारी आकडे असावेत व सत्य परिस्थीत अजून वेगळी असावी.
त्या लेखातील काही भाग.
" 23 साल का समय कुछ कम नहीं होता, इतने समय में तो एक देश या राज्य की पूरी तस्वीर बदली जा सकती है। बिहार में नीतिश कुमार ने तो एक टर्म भी पूरा नहीं किया, लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद राज्य की तस्वीर बदलने में काफी हद तक कामयाब हो रहे हैं। हाल ही में एक सर्वे में यह बात सामने आई कि 2009 में मंदी के बावजूद बिहार की ग्रोथ 11 प्रतिशत से ऊपर रही। क्या कुछ ऐसा कर सके ज्योति बसु अपने राज्य में? तो इसका उत्तर होगा, नहीं। यह जानकर कि बंगाल के 18 जिलों में से 14 देश के सबसे गरीब जिलों में शुमार होते हैं और पुरुलिया में 79 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, कोई भी व्यक्ति आसानी से यह समझ सकता है कि वामपंथियों के नेतृत्व में इस राज्य का क्या हाल हो चुका है। "
त्या लेखाचा दुवा.
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